Monday 12 March 2018

एक कविता अवतार सिंह संधू पाश की - और हम लड़ेंगे साथी / विजय शंकर सिंह

हम लड़ेंगे
कि लड़े बग़ैर कुछ नहीं मिलता ।
हम लड़ेंगे
कि अब तक लड़े क्यों नहीं ।
हम लड़ेंगे
अपनी सज़ा कबूलने के लिए ।
लड़ते हुए जो मर गए
उनकी याद ज़िन्दा रखने के लिए।
हम लड़ेंगे
हम लड़ेंगे जब तक
दुनिया में लड़ने की ज़रूरत बाक़ी है।
जब तक बन्दूक न हुई, तब तक तलवार होगी ।
जब तलवार न हुई, लड़ने की लगन होगी ।
लड़ने का ढंग न हुआ, लड़ने की ज़रूरत होगी ।

अवतार सिंह संधू (9 सितम्बर 1950 - 23 मार्च 1988), जिन्हें सब #पाश के नाम से जानते हैं पंजाबी कवि और क्रांतिकारी थे।
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© विजय शंकर सिंह

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