Sunday 21 January 2018

एक कविता - मौन / विजय शंकर सिंह

एक आदमी चाय बेचता है,
एक आदमी पकौड़े तलता है,
एक आदमी और है,
जिसे न चाय मिलती है,
और न पकौड़ा,
बस हसरत भरी निगाह से,
कभी चाय तो कभी पकौड़े को
देखते बैठे रहता है ।
मैं पूछता हूँ, यह कौन है,
मेरे देश की मीडिया मौन है !!

© विजय शंकर सिंह

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