Friday 24 November 2017

न्यूरेम्बर्ग ट्रायल और इस पर जसबीर चावला की एक कविता - न्यूरेम्बर्ग में हिटलर / विजय शंकर सिंह

हर तानाशाह विनाश लाता है और वही विनाश उसके सर्वनाश का कारण बनता है । हिटलर भी अपवाद नहीं था । 1945 में द्वीतीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद पूरी दुनिया को हिंसक युद्धों में झोंक देने के बाद, जर्मनी के न्यूरेम्बर्ग नामक स्थान पर 1945 से 1949 तक धुरी देशों के युद्धपराधियों के खिलाफ मुक़दमे चलाये गये थे। ये मुक़दमे, न्यूरेम्बर्ग ट्रायल के रूप में प्रसिद्ध है। कुल 13 ट्रिब्यूनल गठित हुये थे जिन्होंने इन मुकदमों की सुनवाई की। जिनके खिलाफ मुक़दमे चले वे थे, नाज़ी पार्टी के अधिकारीगण, हिटलर के नजदीकी राजनीतिज्ञ, जर्मन उद्योगपति जिन्होंने हिटलर की तानाशाही में उसका साथ दिया था, हिटलर की विचारधारा से जुड़े पत्रकार, वकील और डॉक्टर । इन सबके ऊपर मानवता के विरुद्ध युद्ध छेड़ने, नस्ली नर संहार करने, का आरोप लगाया गया था । हिटलर ( 1889 - 1945 ) ने विश्व युद्ध के समाप्ति के समय आत्महत्या कर ली थी। उसका प्रचार मंत्री गोएबल ने भी खुद को गोली मार ली थी।  न्यूरेम्बर्ग ट्रायल के समय गठित न्यायालय पर भी उसके अधिकार क्षेत्र और शक्तियों को लेकर विवाद हुये थे। पर न्यायालय ने अपना काम पूरा किया, औऱ दोषी पाए जाने पर युद्धपराधियों को मृत्युदंड दिया गया।  इसी ट्रायल के बाद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की नींव पड़ी।

नस्ली हत्याओं और रंगभेद के विरुद्ध विश्व का यह पहला कानूनी ट्रायल था । 22 नेताओं पर अपराध सिद्ध हुआ था, जिसमे 12 को फांसी की सज़ा दी गयी और 3 को आजन्म कारावास । कुछ महत्वपूर्ण नेताओं को जिन्हें फांसी की सज़ा दी गयी वे हैं, हांस फ्रैंक, ( Hans Frank, ) विलेहलम फ्रिक ( Wilhelm Frick ) अल्फ्रेड जोडल ( Afred Jodl ), अर्नस्ट करलटेंब्रनर ( Ernst Kaltenbrunner ) विलेहलम कीटेल ( Wilhelm Keitel ),  जोआचिम वॉन रिब्बेन ट्रॉप  ( Joachim von Ribbentrop ), अल्फ्रेड रोज़ेनबर्ग ( Alfred Rosenberg ), फ्रिट्ज साउकेल ( Fritz Sauckel ), आर्थर सेेस्स इंक़वार्ट ( Arthur Seyss-Inquart ) और जूलियस स्ट्रेचर  ( Julius Streicher ) ।एक सज़ायाफ्ता नाज़ी नेता हरमन गोरिंग ( Hermann Göring ) ने फांसी पर लटकाये जाने के पहले ही आत्म हत्या कर ली थी। मार्टिन बोरमानवास ( Martin Bormannwas ) नामक एक अन्य  नाज़ी नेता को फांसी की सज़ा दी गयी थी पर वह जेल से भागते समय पकड़े जाने के डर से आत्महत्या कर के मर गया । 

इसी विषय पर अजय गंगवार की फेसबुक वाल से ली गयी यह कविता पढ़ें ।
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न्युरम्बर्ग में हिटलर
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अगर ज़िंदा पकड़ा जाता हिटलर
पेश होता न्युरेम्बर्ग ट्रायल में
क्या सिर झुकाए आरोप सुन लेता
मांगता माफी गुनाहों की
मुँह में तृण रख लेता
नफरत नहीं है अब विश्व के यहूदियों से
यहूदी उसके भाई हैं
बदल गये हैं उसके विचार

या तनकर बैठता
मुक्के पीटता
चीखता
अवैध है न्युरेम्बर्ग जाँच ट्रायल
तुम सब दफा हो
क्यों मानूं तुम्हारी संप्रभुता
यहूदी ग़लीज़ हैं इसी काबिल ।
सही हैं गेस्टापो,
गोयेबल्स,
यहुदीयों का निर्वासन,
यातना चेंबर,
मेरी नस्लीय श्रेष्ठता,
निभाया है मैंने राजधर्म ।
नहीं बदलेगा अपने विचार,
आस्था ।
कोई घोषणा क्यों करे,
हिटलर बदल गया है राजनीति,
वक्त के दबाव से
वह जीयेगा इन्हीं संग
मरेगा इन्हीं संग !!
☘ जसबीर चावला
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#vss

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