Monday 29 August 2016

Ghalib.- 'Asad' band e qabaa e yaar hai, / 'असद' बंद ए कबा ए यार है / विजय शंकर सिंह




ग़ालिब - 16.
'
असद' बंद ए कबा ए यार है, फिरदौस का गुंचा,
अगर ना हो तो दिखला दूं, एक आलम गुलिस्तां है !!

असद - ग़ालिब का असली नाम असदुल्ला खान. 
बंद ए कबा - कोट या कुर्ते का बटन या बंद. 
फिरदौस - स्वर्ग की सबसे ऊंची श्रेणी. 

'Asad' band e qabaa e yaar hai, firdaus kaa gunchaa, 
Andar baa ho to, dikhlaa doon, ki yak aalam gulistaan hai !!
-Ghalib. 

स्वर्ग रूपी कली यानी प्रेम ईश्वर के वस्त्र का बंद हैबटन हैयदि वह कली खिल जाय तो मैं दिखला दूं किसारा संसार ही स्वर्गोद्यान है .

ग़ालिब ने संसार में ही स्वर्ग और नर्कजन्नत और दोजख की परिकल्पना की है. फिरदौस को स्वर्ग या जन्नत की अनेक श्रेणियों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. इसे जन्नत उल फिरदौस भी कहा गया है. कलीपुष्प बन कर स्वर्गोद्यान को जीवंत कर देती है. लेकिन वह ईश्वर के वस्त्र का बंद है. जब वह बंद खुलता है तो कली खिलती है. और इससे उद्यान की आभा भी.स्वर्गिक हो जाती है।  ग़ालिब का यह शेर भी उनके विद्रोही मानस को ही बताता है. प्रेम ईश्वर का बंद हैजिसे प्रतीक रूप से कली कहा गया है. प्रेम के खिले बिना संसार स्वर्ग की तरह अनुपम नहीं बन सकता है. अतः जो कुछ भी स्वर्ग और नर्क हैपानाखोनाऔर भोगना हैवह सब इसी संसार में है. इसे स्वर्गातुल्य तभी बनाया जा सकता हैजब प्रेम की कली या पुष्प को जो स्वर्ग का आभास कराती हैपुष्पित और पल्लवित होने दिया जाय. 

संसार में ही सब है. स्वर्ग और नर्क की कल्पना केवल कल्पना है. ताकि हम अपना जीवन ढंग से जी सके. इसी से मिलता जुलताकबीर का यह दोहा पढ़ें .

माटी एक भेस धरि नानातामहि ब्रह्म पछाना
कहत कबीरा भिस्त छोड़करि दोजख स्यों मन माना !!

सब मिट्टी ही है. संसार के सारे रूप इसी मिट्टीएक ही मूल तत्व से गढ़े गए हैं. इसी मूल को ईश्वर या ब्रह्म समझ. यही स्वर्ग है. पर इसे न समझ कर तू नर्क के पचड़े में पडा हुआ है. 

( विजय शंकर सिंह )

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