Tuesday 5 July 2016

आतंक के धर्म पर एक मित्र से वार्तालाप / विजय शंकर सिंह

जब भी कोई आतंकी घटना इस्लामी आतंकी समूहों आईएसआईएस , अल क़ायदा आदि आदि द्वारा की जाती है तो सोशल मिडिया पर अक्सर आतंक के धर्म की बहस शुरू हो जाती है । कुछ लोग इस्लाम को आतंकी धर्म घोषित कर देते हैं और यह भी अपेक्षा रखते हैं कि सभी महाजनो येन गतः स पन्थाः की तरह उनके सिद्धांत का पालन करें । इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि, आतंकी समूह लगभग सभी इस्लाम के मतावलंबी है और वे पूरी दुनिया में धमाके और निर्दोषों की हत्या करते रहते हैं । ऐसा नहीं है कि वे गैर मुस्लिमों को ही मारते हैं बल्कि उन्होंने मुसलमानो को भी अधिक संख्या में मारा है । उनकी इस हरक़त के कारण निश्चित ही इस्लाम और मुस्लिमों के प्रति एक विरोध भाव उत्पन्न होता है । इस से उनको भी पर्याप्त बल मिलता है जो इस्लाम के स्वाभाविक रूप से विरोधी है । मेरी अक्सर इस पर बहस होती रहती है कि, आतंक का धर्म नहीं होता हाँ आतंकवादी का धर्म और उसका प्रेरक भाव धर्म से दूषित हो सकता है । कल भी एक मित्र जो घनिष्ठ है और गरिष्ठ भी यानी जिद्दी है ने कहा कि आप मानिए की आतंक का धर्म होता है और वह इस्लाम है । मैंने कहा कैसे ? उन्होंने कुछ कुरआन की आयतें और इतिहास के अंश और आतंकी घटनाओं का ब्यौरा दिया और यह सिद्ध किया कि देखिये इस्लाम हिंसा को और आतंक का समर्थन करता है । मैं भी बुद्ध को स्मरण कर शांत रहा कि विवाद में और विवादित प्रश्नों पर तत्काल राय नहीं देनी चाहिए और जब उनके तर्क शर का तूणीर समाप्त हो गया तो मैंने कहा कि,
" आप की बात मान ली। सही में इस्लाम आतंक का धर्म है । "
वे प्रसन्न हुए और हमारे यहां जब आदमी प्रसन्न या नाराज़ होता है तो अंग्रेज़ी में बोलता है या फिर भोजपुरी में बोलने लगता है । उन्होंने भोजपुरी में कहा,
" कहत रहली ह त ना मानत रहला ह। अब समझ में आइल "
मैंने कहा
" देश नें 15 प्रतिशत मुस्लिम है । हमारे गांव के आस पास भी है । कुछ बेहद करीबी दोस्त भी हैं,  उनके यहां रोज का आना जाना भी है । क्या उन सब को भी आतंकी मान लिया जाय ? क्या वे सब भी आईएस और अलकायदा से जुड़े हैं ? क्या इन सबको मान लिया जाय कि इनकी आत्मा पाकिस्तान में बसती है ? "
उन्होंने कहा
" मेरे भी मित्र मुस्लिम हैं । बनारसी साड़ी के बड़े कारोबारी भी और सामान्य भी । पर उनसे मेरा झगड़ा थोड़े ही है। मेरा भी मिलना जुलना है। पर इस्लाम तो हत्या करने की बात करता है ।"
मैंने कहा,
" आप क्या इस्लाम ग्रहण करने जा रहे हैं कि इस्लाम क्या कहता है इस से चिंतित हैं ! तुर्की , बगदाद ,ढाका के हमले से उन मुसलमानों का सम्बन्ध जो हमारे साथ बरसों से नहीं पीढ़ियों से रह रहे हैं । " ,
उनका बौद्धिक पुनः जागृत हो गया।
" नाहीं तू फिर गबडात हउआ । ई कुल एक्के हउए । "
मैंने कहा ,
" के तोसे झगड़ा करी। तोहार बात मान लेहलीं । इस्लाम आतंकी धर्म हैं और मुस्लिम आतंकी होते हैं ।
थोड़ा रुक कर मैंने फिर कहा,
" फिर तो देश में 15 % आबादी आतंकी है आप के पैमाने के अनुसार ? इनका क्या करने का इरादा है ?
उन्हीने ध्यान से मुझे देखा और अपना सर खुजाते हुए तह कर रखे गए बौद्धिक ढूंढते रहे ।
और मैं चुप चाप उनके उत्तर और समाधान की प्रतीक्षा करता रहा । अभी उनका जवाब नहीं मिला है । मिलेगा तो बताऊंगा !

( विजय शंकर सिंह )

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