Tuesday 8 April 2014

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं - विजय शंकर सिंह




आज रामनवमी है. राम का जन्म दिन. दशावतार के प्रथम मानव अवतार का जन्म. राम का शाब्दिक अर्थ है. जो सब में व्याप्त हो, रम रहा हो. वेदों में राम शब्द आया है कई बार पर वह दशरथ नंदन राम नहीं थे. वाल्मीकि ने पहली बार राम कथा पर आधारित रामायण लिखी, इन्ही के आश्रम में सीता ने परित्यक्त होने के बाद आश्रय ग्रहण किया था. वहीं वह उन्हें लव कुश हुए. और वहीं राम कथा लिखी गयी. राम कथा पर शायद इसके पूर्व का लिखा कुछ नहीं मिलता है. इसके बाद तो संस्कृत में, कालिदास ने रघुवंश, भवभूति ने उत्तर राम चरित, तुलसी ने राम चरित मानस, तमिल में कंबन रामायण, बांग्ला में कृतिवास रामायण, इसके अतिरिक्त आध्यात्म रामायण, राधे श्याम रामायण, आदि आदि लिखे गए. आधुनिक काल में राम कथा पर सबसे अच्छा लिखा है नरेन्द्र कोहली ने, अभ्युदय के नाम से दो खण्डों में. राजगोपालाचारी ने अंग्रेज़ी में भी लिखा है. आगे भी लिखा जाता रहेगा. लेकिन एक और पुस्तक का उल्लेख करूंगा जिसमे राम कथा को नए दृष्टिकोण से देखा गया है. वह पुस्तक है भगवान सिंह की अपने अपने राम. अलग चिंतन, अलग विचार, अलग विश्लेषण , कुछ को पसंद नहीं आयेगा, पर राम किसी के कॉपी राईट नहीं है. वे इस देश की आत्मा है. इकबाल ने उनपर एक बेहद खूबसूरत नज़्म लिखी है और उन्हें इमाम ए हिन्द कहा है. आगे भी उन पर लिखा जाता रहेगा. हरि अनंत, हरि कथा अनन्ता !

राम भी सबके अलग अलग हैं. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी. सब ने अपने अपने निगाह से देखा. मानव प्रकृति है यह. दशरथ के राम, भातिकाल के निर्गुण संतों के राम, कबीर के राम, तुलसी के राम, और अब आधुनिक काल में विश्व हिन्दू परिषद् के राम ! राम वही रहे, एक परम आज्ञाकारी पुत्र, जिसने पिता का वचन भंग न हो, इस लिए राज पाट छोड़ दिया. वनवासी राम. जिसने 14 वर्ष, वल्कल वस्त्र में बिताये. त्राता राम, जिस ने समय समय पर दानवों का संहार कर के ऋषी गण को आश्वस्त किया. कूटनीतिक राम, जिसने सुग्रीव से संधि कर के, अपने उद्देश्य में सफलता हासिल की. योद्धा राम, जिसने रावण से जब संधि की सारी बातें टूट गयी तो घनघोर युद्ध किया और रावण का संहार किया. राम के अनेक रूप दिखे, सब में वे उत्कृष्ट थे. 

हम उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं. पर मनुष्य ऐसा जन्मा ही नहीं जिस ने कोई गलती नहीं की हो, या जिस से कोई भूल हुयी हो. इस मर्यादा पुरुषोत्तम पर भी प्रश्न उठाये गए हैं. शूरणापखा से मिथ्या वाचन, बालि का वध, शम्बूक के प्रति अत्याचार, और सीता का परित्याग, इन सब विन्दुओं पर राम की आलोचना भी हुयी है और होती भी रहेगी. पर इन आलोचनाओं और आक्षेपों के बावज़ूद भी राम जिस स्थान पर आरूढ़ है, वहीं रहेंगे. 

राम विवादित भी हुए है. और ठगे भी गए हैं. जब पूरे धयान से राम कथा को पढ़िएगा तो पाइयेगा कि जितना दुखी जीवन इनका था शायद ही कम का रहा होगा. बचपन में विश्वामित्र ले गए, विवाह के बाद, राज्याधिकार से वंचित राम का वन गमन. सीता का अपहरण. रावण से युद्ध. अयोध्या आने के बाद राज्याभिषेक जब हुआ तो, लगा जीवन अब चैन से बीतेगा, लेकिन, सीता को लेकर जो कुछ कानाफूंसी हुयी, उसका परिणाम बहुत ही दुखद रहा. गर्भवती सीता का परित्याग हुआ. वन में ही उन्हें पुत्र हुए. उनसे युद्ध भी करना पडा. और अंत में चारों भाइयों ने सरयू में डूब कर आत्म ह्त्या कर ली. इस महान रघुवंश का कोई वारिस अयोध्या नहीं रहा. आज भी रघुवंशी क्षत्रियों की कोई शाखा वहा आस पास नहीं है. यह कथा यह भी बताती है कि इश्वर जब मानव रूप में आयेगा तो वह भी मानवीय दुर्बलताओं और विकार से मुक्त नहीं रह पायेगा. 

आज उन्ही राम का जन्म दिन है. कठिन परिथितियों में भी राम आप का विवेक स्थिर रखे और आप के साथ रहें यही कामना है !!

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