Tuesday 6 August 2013

Stop the proposed amendment in RTI by Political Parties

पाकिस्तान की घुसपैठ और घात लगा कर कायरता पूर्ण हमला के बारे में क्या किया जाए ,
सरकार भ्रम में है .
लोकपाल पर क्या किया जाय .
सरकार और विपक्ष दोनों भ्रम में हैं .
छोटे राज्यों की मांग पर क्या किया जाय ,
सरकार भ्रम में है .विपक्ष भी साथ है .
रुपया हिन्द महासागर में जा रहा है , कैसे थामा जाए ,
सरकार भ्रम में है .
ऐसे ही बहुत से सवाल हैं , जिस पर सरकार भ्रम में है और विपक्ष सरकार की खिंचाई कर रहा है .

पर इन दो सवालों पर सभी राजनितिक दल एकमत हैं,
एक , की सूचना के अधिकार के अंतर्गत राजनितिक दलों को नहीं लाया जाना चाहिए .
क्यों ?
इनके अलग अलग तर्क हैं .
दूसरा , सजायाफ्ता और जेल में बंद लोगों को चुनाव में लड़ने से रोका जाय . सर्वोच्च अदालत का फैसला जन विरोधी है .

मैं यहाँ सूचना के अधिकार में प्रस्तावित संशोधनों के सन्दर्भ में यह पोस्ट शेयर कर रहा हूँ . आज़ाद भारत में जितने भी क़ानून बने उन में आर टी आई यानी सूचना का अधिकार सर्वाधिक उपयोगी और जनोन्मुख कानूनों में से है . मैं अपनी मित्र शीबा असलम फह्मी को अरुणा राय द्वारा लिखा गया यह पत्र शेयर कर रहा हूँ अरुणा राय एक प्रबुद्ध व्यक्तित्व हैं और इस क़ानून को बनाने के लिए जिन लोगों ने पीठिका तैयार की थी , उनमें उनका स्थान महत्वपूर्ण है . आज जो भी घोटाले , सरकार की मनमानी हरकतें और वह बहुत कुछ जो अक्सर गोपनीयता की आड़ में ढंका रहता था , वह सब इसी क़ानून के कारण आज सामने रहा है
अभी हाल ही में मुख्या सूचना आयुक्त ने यह व्यवस्था दी है कि राजनितिक दल अपने यहाँ सूचना अधिउकारियों की नियुक्ति करें और अपने आय व्यय का व्योरा मांगे जाने पर नियमानुसार उपलब्ध कराएं . अक्सर देश भक्ति , जन चेतना , संसद की सर्वोच्चता और जनता का हित साधक बनाने का ढिंढोरा पीटने वाले दल सब एक हो गए हैं .दर असल जो चन्दा इन्हें मिलता है वह कार्पोरेट घरानों से या जनता से मिलता है . कारपोरेट घराने इस चंदे की आड़ में दलों से सुविधाएं लेते हैं . वह यह रकम अपनी बैलंस शीट में दिखाते भी हैं . दुनिया भर के राजनितिक दल इस प्रकार के चंदे लेते हैं और अपने चहेते घरानों को सरंक्षण भी देते हैं .
पर जो धन जनता से प्राप्त यह दिखाते हैं वह इनका लूट का धन होता है . जो यह दलाली या अन्य अवैध तरीकों से अर्जित करते हैं ` सूचना के अधिकार के अंतर्गत इस प्रकार की सूचनाएं छुपाना कठिन हो जाएगा .मुझे ऐसे बहुत कम लोग मिले जो किसी दल को स्वेछा से चन्दा देते हों .
संसद में यह संशोधन हो पाए इस लिए मित्रों एकजुट होना ज़रूरी है . आप सब से विनम्र अनुरोध है कि , इस पोस्ट को शेयर करें ताकि अध्हिक से अधिक लोग इस का महत्व समझ सकें
अगर अभी नहीं रोका गया तो , आज राजनितिक दल इस दायरे से निकलेंगे , कल बड़े अधिकारी और गंभीर मामलों से जुडी सूचनाएं और फिर हम इस क़ानून के भोथरा हो जाने का रोना रोयेंगे .

Dear SHEEBA -
The most powerful law we have to fight corruption is going to be diluted soon. In the next few days, the Government will amend the RTI Act to ensure that political parties do not come under direct public scrutiny.
It was a huge victory for India when we recently won an appeal to bring political parties under the RTI Act. But, instead of honouring the decision, political parties are now trying to change the law to exclude themselves.
This is a huge setback for our nation. In order to remain free of corruption, all political parties should be transparent and answerable to the public. This won’t happen if the RTI Act is modified.
It is time for us as people of this country to take action. Ask the Prime Minister (PM), Manmohan Singh, to save the RTI Act from amendments. Sign our petition.
We hardly have any time to act. We need to showcase that the whole country is against this proposed dilution of RTI Act. If thousands sign this petition, the Government will know that there is growing public support, and that they cannot ignore this demand of their voters. 
Help us get at least 25,000 signatures before we deliver them to the PM, the Cabinet Ministers and to prominent media houses. They need to know that Indian citizens deserve and demand clean, transparent politics.
Each signature and every voice of the people of this country counts. Sign the petition and forward this email to your family and friends.
Thank you for taking action for our country,
On behalf of all Co-convenors of NCPRI,

Aruna Roy via Change.org
PS: Share this petition on Facebook and Twitter

No comments:

Post a Comment