Friday 26 April 2013

ओह अमेरिका !


ओह अमेरिका !










अक्सर महत्वपूर्ण लोग अमेरिका जाते हैं और वहाँ की तगडी सुरक्षा जांच के नाम पर बेईज्ज़त भी होते हैं . ऐसा नहीं है कि बेईज्ज़त होने वालों में सिर्फ मुसलमान ही हों . जार्ज फर्नांडिस जो किसी समय देश के रक्षा मंत्री रहे हैं वह भी बेईज्ज़त हो चुके हैं . शाहरुख़ खान तो इतने बेईज्ज़त हुए कि उन्होंने इस व्यथा पर एक फिल्म ही बना दी . 'माय नेम इज  खान ,' फिर भी अमेरिका का मोह गया नहीं . अब ताज़ा बेईज्ज़ती आज़म खान  साहब की हुयी है . स्वभाव से थोड़ा तेज़ खान साहेब वह बेईज्ज़ती बर्दाश्त नहीं कर पाए और  उन्हें करना भी नहीं चाहिए .सो उनकी व्यथा भी सामने गयी .


इसी सन्दर्भ में एक विवरण सुनाना चाहूँगा . चीन के महान नेता माओ त्से दुंग , एक बार रूस वहाँ के सर्वेसर्वा जोसफ स्टॅलिन से मिलने गए . मास्को में माओ को लगा कि स्टॅलिन उनकी उपेक्षा कर रहे हैं , तो माओ ने यात्रा बीच में ही रद्द कर वापस चीन वापस लौट आये . फिर बीस सालों तक चीन लोहे की दीवार बना रहा , और जब वह दीवार गिरी तो वह एक महाशक्ति बन गया था .

हम आज़ाद ज़रूर हुए हैं पर औपनेवेशिक गुलामी की मानसिकता इतनी गहरी जमी है कि उस से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं . कुम्भ मेला की बेहतरीन पुलिस व्यवस्था का प्रमाण पत्र हमें हार्वर्ड से चाहिए . दुनिया की कोई भी पुलिस इतने बड़े भीड़ का नियंत्रण  नहीं करती जैसा की हम कुम्भ के  अवसर पर करते हैं .हमें अमेरिका से से सीखना चाहिए , नए विचार , नए तकनीकी . पर वह सखा भाव से हो , दास भाव से नहीं . पर हमारे मन में काइ की तरह जमी  गुलामी अभी भी कहीं कहीं शेष है . अगर हार्वर्ड विश्वविद्यालय कुम्भ की व्यवस्था का अध्ययन करना चाह रहा था उस के प्रतिनिधि यहाँ सकते थे . या यह सुनिश्चित कर सकते थे कि उनके अतिथियों का अपमान हो .

जार्ज फर्नांडिस , आज़म खान , और शाहरुख़ खान प्रसिद्द लोग हैं . जार्ज और आज़म खान  तो मंत्री ही हैं। इनके वहां जाने की पूर्व सूचना भी रही होगी . लेकिन फिर भी सुरक्षा जांच के नाम पर इन्हें अपमानित करना सिर्फ एक ध्रुवीय शक्ति का दंभ और अहंकार है  हम उस अहंकार से निरंतर पीड़ित होते हुए भी वहाँ जाने के लिए लालायित रहते हैं  .

आज के वैश्विक आतंकवाद के माहोल में सुरक्षा से कोई  समझौता नहीं किया जा सकता . पर सुरक्षा की आड़ में सामान्य और राजनयिक शिष्टाचार की अवहेलना भी नहीं की जा सकती .
-vss

No comments:

Post a Comment