Monday 31 December 2012

A Poem - नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो




Nav Varsh Mangal ho.
नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो

कोई हार गया , कोई जीत गया ,
यह साल भी आखिर बीत गया ,
कभी स्वप्न सजाये आँखों में
कभी बीत गए पल बातों में

कुछ थे तीखे तीखे छण
कुछ बीते किस्से सदमों के ,
कुछ बेरुखी , कुछ बेचैनी
कुछ मन में फ़ैली वीरानी

कुछ पल , यादों से भरे भरे
कुछ लम्हे खोये खोये से,
अब के बरस दुआ, है प्रभु से
निराश ,न  कोई पल, तेरा गुज़रे ,

कोई व्याधि न हो तेरे आस पास,
फूलों की तरह तू खिलता ही  रहे
कोई व्यक्ति न तुझ से गिला करे
तेरे सपनो का नगर , आबाद रहे ,

तू चाहे जो , हो जाए वो ,
तू मांगे जो , मिल जाए वो ,
तेरी माफ़, वो हर एक खता करे ,
राह में  तेरे पुष्प, सर्वत्र खिलें,

और मलय समीर सा जीवन हो .
नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो
-vss
(the photo is of a morning in Varanasi, Subh-e-Banaras)

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