Tuesday 27 November 2012

A Poem..... तुम जो पास होते थे






तुम जो  पास होते थे

तुम जो  पास होते थे
यादों के तब साए थे
मन, उपवन, था मेरा
रूह भी  थी, खिली खिली
और  अधर मुस्कुराते थे

आँखों  के दिए,  हर पल ,
रोशनी लुटाते थे
मन  के कोने कोने  में,
तेरा ही  बसेरा था ,
तुम जो पास होते थे !

स्मृतियों की सीपी  में
भाव, शब्द, बन, बन कर
जा ब जा बिखरते थे
मैं संभाल कर , मोती ,
तेरी नज़र करता था .

डूब कर, सपनों में   तेरे
खुद को खो देता था मैं
अब  ढूंढता हूँ हर तरफ तुझे ,
नगर नगर , डगर डगर
फिरता रहता हूँ अनायास ,

कंठ निःशब्द हैं अब ,
बोलने से डरता हूँ अब ,
सोच के वियाबाँ में
भाव ,शब्द ढूंढ़ता हूँ,
जो कहाँ उपजते हैं .

शायरी तो करता हूँ ,
ढूंढता हूँ जीवन भी
पर छंदों में, निर्झर, से
अब  भाव, कहाँ, बहते हैं,
अब शब्द, कहाँ, मिलते हैं
-vss

No comments:

Post a Comment